आज फर्ज बनता है मेरा ,गुरुदर पर जाने का !
खुशियाँ मिली अपार जहां से ,उस दर पर शीष झुकाने का !!
गुरुपुर्णिमा का पर्व ,वर्ष मैं एक बार आता है !
गुरु शिष्य के सम्मिलन पर ,इश्वर भी अमृत बरसाता है !!
यह स्वर्णिम शुभ अवसर है ,गुरु शरणागत होने का !
खुशियाँ मिली अपार जहां से ,उस दर पर शीष ज्गुकाने का !!
जीवन संचेतना जुलाई २०१०
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