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2015
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May
(32)
- मानव जीवन शोभायमान
- आत्मा का परमात्मा से
- मति चार प्रकार की
- भगवान ने सबको
- प्रभु के नाम के
- बहुत पछताओगे
- पशु-पक्षियों से मनुष्य
- सत्संग की ज्ञान गंगा
- Jo milne par
- मन के पौधे को
- गुरु भक्तो ! विचार कीजिए
- बिना हरी नाम
- जीवन के दो पक्ष
- छिनना है तो
- यह जीवन तभी तक आनंदित
- जीवन में चमत्कार
- क्रोध को जीवन
- जो आँखे अपने
- जो व्यथाऍं प्रेरणा दें
- हममें परमात्मा है
- some good thaughts
- आपकी जैसी
- दिशा और दशा
- आज का संघर्ष
- जो छोटी छोटी
- Fwd: [GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL] यह सत्संग
- यह सत्संग
- प्रेम से प्रभु
- उत्तम आचरण,
- दूसरों के दोष
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- Fwd: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
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May
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Sunday, May 31, 2015
मानव जीवन शोभायमान
Saturday, May 30, 2015
आत्मा का परमात्मा से
Friday, May 29, 2015
मति चार प्रकार की
परम पूज्य श्री सुधान्शुजी महाराज
Thursday, May 28, 2015
भगवान ने सबको
प्रभु के नाम के
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Wednesday, May 27, 2015
बहुत पछताओगे
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Sunday, May 24, 2015
पशु-पक्षियों से मनुष्य
Thursday, May 21, 2015
सत्संग की ज्ञान गंगा
Jo milne par
मन के पौधे को
गुरु भक्तो ! विचार कीजिए
अधि का अर्थ है ऊपर और आत्म का अर्थ है स्वयं दोनों का संधिपरक अर्थ है स्वयं से ( निजी स्वार्थों से )ऊपर और जो निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर कार्य करता है वह आध्यात्मिक कहलाता हे !
इस दृष्टि से अब विचारणीय यह है की आप कितने आध्यात्मिक हैं ?
* क्या कभी आपने सोचा है की स्वयं के लिए जीने अथवा अपना पेट भरने के लिए ही आपका जन्म नहीं हुआ ?
* क्या कभी आप अपने दुर्गुणों ( स्वार्थ ,इर्षा ,द्वेष ,लोभ ,-मोह , दंभ आदि )को दूर करने तथा सदगुण ( सेवा ,परोपकार ,सहानभूति स्वाध्याय ,सत्संग ,संतोष ,समर्पर्ण आदि ) के ग्रहण द्वारा लोकहित के लिए एकांत चिंतन करते हैं ?
*क्या कभी आपने स्वयं न खाकर किसी भूके को खिलाया है अथवा किसी खिलाने वाले का सहयोग दिया है ?
* क्या आपने कभी दीन दुखिया और बिछुडों को गले लगाया हे ?
*सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर क्या कभी आपने गिरतों की बांह पकड़ी !
बिना हरी नाम
Tuesday, May 19, 2015
जीवन के दो पक्ष
Monday, May 18, 2015
छिनना है तो
Sunday, May 17, 2015
यह जीवन तभी तक आनंदित
"नदी के दो किनारे उसकी दो सीमा रेखायें हैं, जब नदी उसके बीच में होकर बहती है तब उसका सौन्दर्य है और किनारे तोड़कर नदी बाहर आ जाये तो विनाश की स्थिती उत्पन्न कर देगी। यह जीवन तभी तक आनंदित हो सकता है, उन्नति का कारण बन सकता है, यश का कारण बन सकता है, जहाँ मर्यादाओं के बीच में जीवन बहता हो। किनारा तोड़कर बाहर आओगे, सम्मान के हकदार नहीं रह पाओगे।
मर्यादा समाज में भी महत्वपूर्ण चीज़ है, जीवन में भी महत्वपूर्ण चीज़ है।
Saturday, May 16, 2015
जीवन में चमत्कार
Friday, May 15, 2015
क्रोध को जीवन
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Thursday, May 14, 2015
जो आँखे अपने
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Wednesday, May 13, 2015
जो व्यथाऍं प्रेरणा दें
जूज्ञ कर कठनईयों से रंग जीवन का निखारो,
बृक्ष कट -कट कर बढा हे,
दीप बुज्ञ -बुज्ञ कर जला हे,
मृत्यु से जीवन मिले तो उसकी आरती उतारो!
हममें परमात्मा है
Tuesday, May 12, 2015
some good thaughts
आपकी जैसी
Monday, May 11, 2015
दिशा और दशा
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आज का संघर्ष
Sunday, May 10, 2015
जो छोटी छोटी
Saturday, May 9, 2015
Fwd: [GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL] यह सत्संग
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL at 5/09/2015 04:45:00 PM
यह सत्संग
Friday, May 8, 2015
प्रेम से प्रभु
काम करते चलो नाम जपते चलो
हर समय शिव का ध्यान धरते चलो
नाम धन का खज़ाना बढ़ाते चलो
प्रेम से प्रभु को रिझाते चलो
अपने मन को सुमार्ग पर चलाते चलो।
Wednesday, May 6, 2015
उत्तम आचरण,
Monday, May 4, 2015
दूसरों के दोष
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दूसरों के दोष ढूंढने में अपनी शक्ति का अपव्यय मत करो। अपने आप को ऊँचा उठाने का हर सम्भव प्रयास जारी रखो, उसे कम न होने दो।
हर किसी में अच्छाई को ढूंढो, उससे कुछ सीखकर अपना ज्ञान और अनुभव बढाओ। इससे तुम बहुत जल्दी ऊँचाई तक पहुँच सकते हो।
Saturday, May 2, 2015
Fwd: [GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL] Fwd: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
Friday, May 1, 2015
Fwd: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2015-05-01 17:19 GMT+05:30
Subject: [AMRIT VANI ] 5/01/2015 05:19:00 pm
To: mggarga@gmail.com
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Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा AMRIT VANI के लिए 5/01/2015 05:19:00 pm को पोस्ट किया गया